Shaam ke Azkaar




🌃☆☆*اَذْکَارُالْمَسَاء*۔☆☆🌃

  👇🏼 Shaam ke Azkaar  🕰️ 

  वो दुवाएं जो रसूल अल्लाह पढ़ा करते थे ताके जिन्नात और शयातीन के शर और फितनों से अपनी हिफाज़त कर सकें और अल्लाह  के करीब होने का रास्ता आसान हो जाए और वक्त भी इबादत में शुमार हो जाए
*ان شاء اللہ تعالی*✨ 

🤲🏻 *اَعُوْذُ بِاللهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ۔*

🤲🏻 *بِسْمِ اللہِ الرّٰحْمٰنِ الرّٙحِیْمِ* 

1️⃣• *اَللهُ لَآ اِلٰهَ اِلاَّ ھُوَ اٙلْحَیُّ الْقَیُّوْمُ لَا تَاْخُذُهٗ سِنَةٌ وَّ لَا نَوْم ٌ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَ مَا فِی الْاَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِیْ یَشْفَعُ عِنْدَهٗ اِلَّا بِاِذْنِهٖ  یَعْلَمُ مَا بَیْنَ اَیْدِیْھِمْ وَ مَا خَلْفَھُمْ وَ لَا یُحِیْطُوْنَ بِشَیْءٍ مِّنْ عِلْمِهٖ  اِلَّا بِمَا شَآءَ وَسِعَ کُرْسِیُّهُ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضَ وَ لَا یَؤُدُهٗ حِفْظُھُمَا وَ ھُوَ الْعَلِیُّ الْعَظِیْمُ ¤*  ( ×1)
 शुरु अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और बहुत  रहम करने वाला हैं
 अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, अल्लाह ही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है न उसको ऊंघ आती है और न ही नींद, जो कुछ भी आसमानों पर है और जो भी ज़मीन पर है सब अल्लाह ही का है, कौन है जो बिना अल्लाह कि इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके, अल्लाह उन्हे भी जानता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है, बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे, उसकी (हुकूमत) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है, ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं वह बहुत बलंद और अज़ीम जात है
            
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2️⃣• *اَللّٰھُمَّ صَلِّ  عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا صَلَّیْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ* *وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْد*ٌ 

*اَللّٰھُمَّ بَارِکْ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا بَارَکْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ* 
दस बार सुबह और शाम
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3️⃣• *اَللّٰھُمَّ بِکَ اَمْسَیْنَا وَ بِکَ اَصْبَحْنَا وَ بِکَ نَحْیَا وَ بِکَ نَمُوتُ وَاِلَیْکَ النُّشُوْرُ۔* (1x)
  ए अल्लाह तेरे हुकुम से हमने शाम की ओर तेरे हुकुम से हमने सुबह की और तेरे हुकुम से हम जीते हैं और तेरे हुकुम से हम मरते है और तेरे ही तरफ दोबारा उठाया जाना है।
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4️⃣•  *اَمْسَیْنَا عَلٰی فِطْرَةِ الْاِسْلَامِ وَ عَلٰی کَلِمَةِ الْاِخْلَاصِ وَ عَلٰی دِیْنِ نَبِیِّنَا مُحَمَّدٍ صلی الله علیه وسلم وَ عَلٰی مِلَّةِ اَبِیْنَا اِبْرَاھِیْمَ حَنِیْفًا مُّسْلِمًا وَّ مَا کَانَ مِنَ الْمُشْرِکِیْنَ۔* (1x)
   हमने शाम की फितरत इस्लाम पर कलमा ए इखलास पर और अपने नबी हज़रत मुहम्मद सल्लाहू अल्लैही वसल्लम के दीन पर और अपने बाप हज़रत इब्राहीम अल्लैहीस्सलाम की मिल्लत पर जो यक्सु मुसलमान थे और वो मुशरिकों में से नहीं थे।
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5️⃣• *اَللّٰھُمَّ فَاطِرَ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضِ، عَالِمَ الْغَیْبِ وَ الشَّھَادَةِ، لَا اِلٰهَ اِلَّا اَنْتَ رَبَّ کُلِّ شَیْءٍ وَّ مَلِیْکَهُ اَعُوْذُ بِکَ مِنْ شَرِّ نَفْسِیْ وَ مِنْ شَرِّ الشَّیْطَانِ وَ شِرْکِهِ وَ اَنْ اَقْتَرِفَ عَلٰی نَفْسِیْ سُوْءً اَوْ اَجُرَّهُ اِلٰی مُسْلِمٍ۔* (1x)
ऐ अल्लाह ! आसमानों और ज़मीन के पैदा करने वाले, छुपे और खुले के जानने वाले , तेरे सिवाए कोई माबूद नहीं , हर चीज़ का रब और उसका मालिक है , मै तेरी पनाह चाहती हूं अपने नफ्स के शर से और शैतान के और उस के शरीक के शर से और यह के मैं अपनी जान को किसी बुराई में मलूस करूं या किसी दूसरे मुसलमान को उस की तरफ माईल करूं।
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6️⃣• *اَمْسَیْنَا وَ اَمْسَی الْمُلْکُ لِلهِ وَ الْحَمْدُ لِلهِ لَا اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِیْکَ لَهُ، لَهُ الْمُلْکُ وَ لَهُ الْحَمْدُ وَ ھُوَ عَلٰی کُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ، رَبِّ اَسْاَلُکَ خَیْرَ مَا فِیْ ھٰذِهِ اللَّیْلَةِ وَ خَیْرَ مَا بَعْدَھَا وَ اَعُوْذُبِکَ مِنْ شَرِّ مَا فِیْ ھٰذِهِ اللَّیْلَةِ وَ شَرِّ مَا بَعْدَھَا، رَبِّ اَعُوْذُبِکَ مِنَ الْکَسَلِ وَ سُوْءِ الْکِبَرِ، رَبِّ اَعُوْذُبِکَ مِنْ عَذَابٍ فِی النَّارِ وَ عَذَابٍ فِی الْقَبْرِ۔* (1x)
हमने शाम की और तमाम आलम ने शाम की अल्लाह के लिए और तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं, अल्लाह के  सिवाए कोई माबूद ऐ बरहक नहीं वो अकेला है इसका कोई शरीक नहीं ,इसके लिए बादशाहत है aut इसी के लिए तमाम तारीफें हैं, ए मेरे रब! आज की रात और जो इस के बाद है इसकी भलाई मांगती हूं और में तेरी पनाह चाहती हूं आज की रात और जो इसके बाद है इसकी बुराई से , ऐ मेरे रब! मैं तेरी पनाह चाहती हू सुस्ती से और बदतरीन बुढ़ापे से , ऐ मेरे रब! मैं तेरी पनाह चाहती हूं आग के अज़ाब से और कब्र के अज़ाब से। 
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7️⃣• *اَعُوْذُ بِکَلِمَاتِ اللهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ۔* (1x)
میں پناه مانگتا ہوں الله کے تمام کلمات کے ساتھ، ہر اُس چیز کے شر سے جو اُس نے پیدا کی ہے۔
मैं पनाह मांगती हूं अल्लाह के तमाम कलामत के साथ , हर उस चीज़ से जो उसने पैदा की है।
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8️⃣• *بِسْمِ اللهِ الَّذِیْ لَا یَضُرُّ مَعَ اسْمِهِ شَیْءٌ فِی الْاَرْضِ وَ لَا فِی السَّمَآءِ وَ ھُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ۔* (3x)
  अल्लाह के नाम से ,वो जिस के नाम के साथ कोई चीज़ ज़मीन में और आसमान मे नुकसान नहीं से सकती और वो सुनने वाला और जानने वाला है
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9️⃣• *اَللّٰھُمَّ عَافِنِیْ فِیْ بَدَنِیْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِیْ فِیْ سَمْعِیْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِیْ فِیْ بَصَرِیْ لَا اِلٰهَ اِلَّا اَنْتَ۔ اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُ بِکَ مِنَ الْکُفْرِ وَ الْفَقْرِ، اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُبِکَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، لَا اِلٰهَ اِلاَّ اَنْتَ۔* (3x)
ऐ अल्लाह ! मेरे बदन में आफियत दे, ए अल्लाह! मेरे कानों में मुझे आफियत दे, ऐ अल्लाह! मेरे आंखो में मुझे आफियत दे, तेरे सिवा कोई माबुद नहीं है, ऐ अल्लाह यकीनन मैं तेरी पनाह चाहती हूं कुफ्र और फकीरी से , ऐ  अल्लाह! बेशक में तेरी पनाह चाहती हूं अज़ाब ए  का कब्र से , तेरे सिवाए कोई माबूद नहीं।
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🔟• *یَا حَیُّ یَا قَیُّوْمُ بِرَحْمَتِکَ اَسْتَغِیْثُ اَصْلِحْ لِیْ شَاْنِیْ کُلَّهُ وَ لَا تَکِلْنِیْ اِلٰی نَفْسِیْ طَرْفَةَ عَیْنٍ۔*  (1x)
ऐ जिंदा और क़ायम रहने वाले! तेरी रहमत के सबब फरयाद करती हूं के मेरे सब कामों की इसलाह फरमा दे और पलक झपकते तक के लिए भी मुझे मेरे नफ्स के हवाले ना कर
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 1️⃣1️⃣• *اَللّٰھُمَّ اَنْتَ رَبِّیْ، لَا اِلٰهَ اِلَّا اَنْتَ خَلَقْتَنِیْ وَ اَنَا عَبْدُکَ وَ اَنَا عَلٰی عَھْدِکَ وَ وَعْدِکَ مَا اسْتَطَعْتُ اَعُوْذُبِکَ مِنْ شَرِّ مَا صَنَعْتُ اَبُوْءُ لَکَ بِنِعْمَتِکَ عَلَیَّ وَ اَبُوْءُ بِذَنْبِیْ فَاغْفِرْلِیْ اِنَّهُ لَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا اَنْتَ۔* (1x)
ऐ अल्लाह ! तू ही मेरा रब है तेरे सिवा कोई मबूद नही बरहक नहीं , तू ने मुझे पैदा किया और में तरी बंदी हूं और मैं अपने इस्तेतात के मुताबिक तुझसे किए हुए अहद और वादे पर क़ायम हूं , मैं तेरी पनाह चाहती हूं हर बुराई से जो मैंने की , मैं अपने ऊपर तेरी अता करदा नेमतों का एतेराफ करती हूं ,पस मुझे बक्श दे, यकीनन  तेरे सिवाय कोई गुनाहों को बख्शने वाला नहीं हो सकता।
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2️⃣1️⃣• *اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَسْاَلُکَ الْعَافِیَةَ فِی الدُّنْیَا وَ الْآخِرَةِ، اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَسْاَلُکَ الْعَفْوَ وَ الْعَافِیَةَ فِیْ دِیْنِیْ وَ دُنْیَایَ وَاَھْلِیْ وَ مَالِیْ، اَللّٰھُمَّ اسْتُرْعَوْرَاتِیْ وَ آمِنْ رَوْعَاتِیْ، اَللّٰھُمَّ احْفَظْنِیْ مِنْ بَیْنِ یَدَیَّ وَ مِنْ خَلْفِیْ وَ عَنْ یَّمِیْنِیْ وَ عَنْ شِمَالِیْ وَ مِنْ فَوْقِیْ وَ اَعُوْذُ بِعَظَمَتِکَ اَنْ اُغْتَالَ مِنْ تَحْتِیْ۔* (1x)
ए अल्लाह ! बेशक मैं आपसे दुनिया और आखीरत में आफियत मांगती हूं, ए अल्लाह! बेशक मैं आपसे दरगुजर का और अपने दीन ,दुनिया , अहेल और माल की आफियत का सवाल करती हूं,  ए मेरे रब मेरे गैब ढांप दे और मुझे खोफ से अमन दे , ए मेरे अल्लाह मेरी हिफाजत कर सामने से और मेरे पीछे से और mete दाएं से और मेरे बाएं से और मेरे ऊपर से और मेरे नीचे  , और मैं पनाह चाहती हुं तेरी अज़मत के ज़रिए उससे की मैं निचे से हलाक की जाऊं 

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3️⃣1️⃣• *بِسْمِ اللہِ الرّٰحْمٰنِ الرّٙحِیْمِ* 
*قُلْ ھُوَ اللهُ اَحَدٌ o اَللهُ الصَّمَدُ o لَمْ یَلِدْ وَ لَمْ یُوْلَدْ o وَ لَمْ یَکُنْ لَّهٗ کُفُوًا اَحَدٌ o ٍ۔* (3x)
कह दीजिए ! के वो अल्लाह एक है, अल्लाह बेनियाज है, ना इससे कोई पैदा हुआ और वो किसीसे पैदा हुआ, और ना ही कोई उस का हमसफर है
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4️⃣1️⃣• *بِسْمِ اللہِ الرّٰحْمٰنِ الرّٙحِیْمِ* 
 *قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ o مِنْ شَرِّ مَا خَلق وَ مِنْ شَرِّ غَاسِقٍ اِذَا وَقَبَ o وَ مِنْ شَرِّ النَّفّٰثٰتِ فِی الْعُقَدِ o وَ مِنْ شَرِّ حَاسِدٍ اِذَا حَسَدَ o ٍ* (3x)
कह दिजिए ! मैं रब  की पनाह चाहती हु , हर उस चीज़ के शर से जो उसने पैदा की है और अंधेरी रात की
तारीकी के शर से जब वो फैल जैयेनौर ग्रहों में फूंकने वालों के शर से, और हसद करने वालों के शर से जब वो हसद करें।
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 5️⃣1️⃣• *بِسْمِ اللہِ الرّٰحْمٰنِ الرّٙحِیْمِ* 
 *قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِ o مَلِکِ النَّاسِ o اِلٰهِ النَّاسِ o مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ o الَّذِیْ یُوَسْوِسُ فِیْ صُدُوْرِ النَّاسِ o مِنَ الْجِنَّةِ وَ النَّاسِ o ٍ۔* (3x)
कह दिजिए ! मैं लोगों के रब की पनाह चाहती हु, लोगों के मालिक की, लोगों के माबूद की, वसवसे डालने  वाले  , बार बार पलट कर आने वाले के शर से, वो जो लोगों के  सिनों में वसवसे डालता है , जिन्नों और  इंसानाओं मे से
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 6️⃣1️⃣• *لَا اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِیْکَ لَهُ، لَهُ الْمُلْکُ وَ لَهُ الْحَمْدُ وَ ھُوَ عَلٰی کُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ۔* (1x)
  अल्लाह के सिवाए कोई माबूद नहीं वो अकेला है इस का कोई शरीक नहीं उसी के लिए बादशाहत है और उसी के लिए सब तारीफ है ,हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है

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7️⃣1️⃣• *اَللّٰھُمَّ اِنَّا نَجْعَلُکَ فِیْ نُحُوْرِھِمْ وَ نَعُوْذُبِکَ مِنْ شُرُوْرِھِمْ۔ ٍ* (1x)
ए अल्लाह! बेशक हम तुझको उन के मुकाबले में रखते है और उन के शर से तेरी पनाह तलब करते हैं।
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8️⃣1️⃣• *اَعُوْذُ بِکَلِمَاتِ اللهِ التَّامَّاتِ الَّتِیْ لَا یُجَاوِزُھُنَّ بَرٌّ وَّ لَا فَاجِرٌ مِّنْ شَرِّ مَا یَنْزِلُ مِنَ السَّمَاءِ وَ مَا یَعْرُجُ فِیْھَا وَ مِنْ شَرِّ فِتَنِ اللَّیْلِ وَ النَّھَارِ وَ مِنْ کُلِّ طَارِقٍ اِلَّا طَارِقًا یَّطْرُقُ بِخَیْرٍ یَّا رَحْمَانُ۔ ٍ۔* (1x)
मैं अल्लाह के तमाम कलिमात के साथ पनाह चाहती हु जिन से आगे न तो कोई नेक और ना ही कोई बुरा शक्श बढ़ सकती हैं ! हर उस चीज़ के शर से जो आसमान से  उतरती हैं और जो इस में चढ़ते है और रात और दीन के
फितनो के शर से सिवाए उस हादसे के शर से जो खैर का बाइस हो, aye reham farmane wale
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9️⃣1️⃣• *سُبْحَانَ اللهِ وَ بِحَمْدِهِ*
अल्लाह पाक है और उसी की तारीफ है
(सुबह और शाम 100 बार)

🌺  📿 

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